लोग तृतीय विश्व के बच्चों, अनाथाश्रमों, स्त्रियों के सशक्तिकरण हेतु, दवाखानो, स्कूलों और सरकारों को दान देते हैं। पर कोई वृद्धों को नहीं देता कि वे कुछ ज्यादा दिन जी सकें और आत्मसम्मान से मर सकें। 😦
~ पॉल थरू, घोस्ट ट्रेन टू द ईस्टर्न स्टार में।
हिन्दी में सूक्तियाँ।
लोग तृतीय विश्व के बच्चों, अनाथाश्रमों, स्त्रियों के सशक्तिकरण हेतु, दवाखानो, स्कूलों और सरकारों को दान देते हैं। पर कोई वृद्धों को नहीं देता कि वे कुछ ज्यादा दिन जी सकें और आत्मसम्मान से मर सकें। 😦
~ पॉल थरू, घोस्ट ट्रेन टू द ईस्टर्न स्टार में।